ApnaCg@असत्य पर सत्य के विजय का प्रतीक है दशहरा

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मुंगेली@अपना छत्तीसगढ़ – हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दूओं का प्रमुख एवं राष्ट्रीय पर्व दशहरा हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देश भर में बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है। रावण द्वारा माता सीता का अपहरण करने के बाद रावण और प्रभु श्रीराम के बीच यह युद्ध दस दिनों तक चलता रहा। अंत में आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से अहंकारी रावण का अंत कर दिया। रावण की मृत्यु को असत्य पर सत्य और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। प्रभु राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी इसलिये यह दिन विजयादशमी भी कहलाया। इस दिन रावण दहन के साथ ही अस्त्र, वाहन पूजन और मां दुर्गा, प्रभु श्रीराम, गणपति देव के पूजन की भी परंपरा है। आज के दिन बिना किसी शुभ मुहूर्त को देखे मुंडन, छेदन, भुमि पूजन, नया व्यापार, वाहन आदि खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन गुप्त दान का बेहद महत्व माना गया है। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया भगवान श्रीराम ने आज ही के दिन रावण का वध किया था तथा दस दिन के युद्ध के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था, इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का पर्व हमें अच्छाई की जीति आशा के साथ नेक कार्यों में भरोसा करना सिखाता है। विजयादशमी का पर्व काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, अहंकार, हिंसा जैसी बुरी आदतों से दूर रहने की प्रेरणा देता है। आज के दिन असत्य पर सत्य की जीत होने की वजह से सभी लोगों को यह प्रण लेना चाहिये कि वह अपने मन की बुराइयों को मारेंगे। दशहरा के दिन कई लोग अपने घरों में पूजन करते हैं। आज के दिन जगह- जगह मेला लगता है, रामलीला का आयोजन होता है जिसमें भगवान राम की वीरगाथा दिखायी जाती है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। विजयादशमी के दिन लोग अस्त्र शस्त्रों का भी पूजन करते हैं। इस दिन अपराजिता देवी एवं शमी वृक्ष के पूजन का भी विशेष महत्व है विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप दीपक जलाकर उसे प्रणाम करें। पूजन के उपरांत हाथ

जोड़कर निम्न प्रार्थना करें-
‘शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी ।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी ।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया ।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता ।।’

रावण दहन के पश्चात घर आने पर सभी की आरती उतारकर स्वागत एवं भेंट किया जाता है। इसके साथ ही गाँव और पड़ोस में शमी पत्ता बांट कर बड़ों से हर कार्य में विजयश्री का आशीर्वाद भी लिया जाता है। आज के दिन नया काम शुरू करने की भी मान्यता है। कहा जाता है कि आज के दिन शुरू किये गये किसी भी काम में विजय यानि सफलता निश्चित रूप से मिलती है। अगर आपके परिवार में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सभी शस्त्र उस पर रखें। फिर गंगाजल छिड़क कर पुष्प अर्पित करें। साथ ही यह प्रार्थना करें कि संकट पड़ने पर यह आपकी रक्षा करें। इस दिन भगवान श्रीराम की उपासना करने का बहुत अधिक महत्व होता है। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीराम की
प्रतिमा स्थापित करें। फिर धूप, दीप और अगरबत्ती
जलाकर भगवान श्रीराम की उपासना करें और अंत में
आरती करें।

नीलकंठ का दर्शन होता है शुभ

नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। रावण पर विजय पाने की अभिलाषा में भगवान श्रीराम ने पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किये थे इसलिये आज के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ जाता है। इस दिन नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभफ्ल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय, धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि आज के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन ने व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है। उसे हर कार्य में
सफलता मिलने लगती है।

Happy Independence Day

अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक
Author: अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक

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