ApnaCg @‘‘दरवाजा खोलने की बात पर‘‘ कि गई हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास
मुंगेली – जिला एवं सत्र न्यायाधीश विद्वान अरविन्द कुमार सिन्हा द्वारा एक वर्ष पूर्व दर्ज हुए अपने पत्नी हत्या के आरोपी को भा.द.स. की धारा 302, के अपराध में आजीवन कारावास एवं 01 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया एवं अर्थदण्ड के राशि अदा नही किये जाने पर 01 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गई है। इस प्रकरण में शासन की ओर से जिला लोक अभियोजक मनीष चौबे द्वारा पैरवी की गई। आरोपी संदीप टण्डन के पिता छन्नू टण्डन द्वारा चौंकी साकेत थाना पथरिया में आकर प्रथम सूचना पत्र दर्ज करवाते हुए यह बताया गया था कि 07 दिसम्बर 2020 की सुबह अभियुक्त का किसी दूसरे मामले में चालान पेश होने के कारण मुंगेली न्यायालय जाने के लिए तैयार होने कह कर चौंकी साकेत चला गया चौंकी साकेत से 10ः30 बजे घर वापस आने पर देखा तो घर का दरवाजा बंद था। जिस पर अपनी बहू मृतिका नंदनी को आवाज लगाकर घर का दरवाजा खोलने कहा गया जिस पर मृतिका नंदनी द्वारा यह बोला गया कि अभियुक्त द्वारा घर के अंदर से दरवाजा बंद कर दिया गया है। और खोलने से मना कर रहा है। जिसके बाद मृतिका नंदनी द्वारा दरवाजा खोलने का प्रयास करने पर अभियुक्त संदीप टण्डन द्वारा अपनी पत्नी को पकड़कर कमरे के अंदर ले गया, जिसके बाद मृतिका नंदनी टण्डन कि बचाव – बचाव कहकर चिल्लाने पर आरोपी का पिता छन्नू
टण्डन छानी में चढ़कर घर के अंदर गया और दूसरे कमरे की कोठी में चढ़ कर देखा तो अभियुक्त संदीप टण्डन अपनी पत्नी के गले को कुल्हाड़ी से बेरहमी से काट रहा था। छन्नू टण्डन के मना करने पर अभियुक्त द्वारा अपने पिता छन्नू टण्डन को भी मारने के लिए कुल्हाड़ी को घुमाया तब आरोपी के पिता अपनी जान बचाने के लिए कोठी से कूद कर घर के बाहर भागकर बाहर काम कर रही अपनी पत्नी को बताया और चौंकी साकेत थाना पथरिया में जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाया। जिस पर पुलिस वाले अभियुक्त के घर जाकर अभियुक्त की गिरफ्तार किये। आरोपी से पूछताछ के आधार पर घटना में उपयोग किए गए खून लगे कुल्हाड़ी तथा अभियुक्त के रक्तरंजीत कपड़े को जब्त किया गया था। उक्त प्रकरण की विवेचना सहायक उप निरीक्षक स्वं. पीआर जगत द्वारा कर सम्पूर्ण विवेचना पश्चात अंतिम प्रतिवेदन माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। प्रकरण में माननीय न्यायालय के समक्ष परीक्षण के दौरान लोक अभियोजक मनीष चौबे द्वारा 14 साक्षियों का परीक्षण कराया गया। प्रकरण परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था। अधिकतर साक्षी आरोपी के रिश्तेदार एवं गांव के होने के कारण आरोपी के खिलाफ न्यायालय में गवाही देने से मुकर गए थे। लेकिन पक्षद्रोही घोषित होने के बाद शासकीय अधिवक्ता द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब से अभियोजन कहानी का समर्थन किया गया। साक्षियों में से रिपोर्ट दर्ज कराने एवं घटना को प्रत्यक्ष देखने वाले साक्षी के रूप में आरोपी के पिता छन्नू टण्डन ने शासकीय अधिवक्ता द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में अभियुक्त द्वारा अपने पत्नी के गले को टंगीया से काटने को देखने की बात स्वीकार की गई थी।
इसी तरह विवेचना के दौरान आरोपी घटना के समय पहने हुए कपड़े एवं घटना में प्रयुक्त टंगिया जिसमें मृतिका का खून लगा हुआ था। जिसे रासायनिक परीक्षण हेतु भेजा गया था। जिस पर रासायनिक परीक्षण किए जाने वाले वैज्ञानिक द्वारा दिये गए रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख था कि आरोपी के कपड़े एवं टंगिया में मानव रक्त पाया गया था। चूॅंकि मृतिका और आरोपी एक ही कमरे में निवासरत थे तथा घटना स्थल आरोपी का निवास स्थान था। जिसके कारण यह बताने का दायित्व आरोपी पर था कि मृतिका का हत्या किसके द्वारा और कैसे की गई, जिसे माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान आरोपी द्वारा यह नही साबित किया जा सका कि मृतिका की हत्या उसने नही की है। इस तरह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित होने के बाद भी आरोपी के पिता द्वारा घटना को देखे जाने की बात का कथन किया गया जिसकी पुष्टी चिकित्सकीय साक्ष्य से भी होने पर, रासायनिक परीक्षण की रिपोर्ट, पुलिस के पूछताछ में आरोपी द्वारा किए गए अपराध की स्वीकृति के आधार पर किए गए जप्ती के गवाहों द्वारा न्यायालय में आरोपी के खिलाफ कथन किया गया। उक्त आधार पर माननीय उच्चतम न्यायालय के विभिन्न न्याय दृष्टांत का उल्लेख करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश विद्वान अरविन्द कुमार सिन्हा द्वारा पत्नी हत्या के आरोपी को भा.द.स. की धारा 302, के अपराध में आजीवन कारावास एवं 01 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया एवं अर्थदण्ड के राशि अदा नही किये जाने पर 01 वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गई है।