ApnaCg@हंसदेव बचाने के लिए एक दिवसीय आंदोलन
मुंगेली@अपना छत्तीसगढ़ – हसदेव क्षेत्र में कोल ब्लाकों की वजह से वनों की कटाई से छत्तीसगढ़ एवं देश में पड़ने वाले दुष्प्रभाव के कारण कोल ब्लॉक निरस्त करने हेतु आम जनता ने बड़ी संख्या में दाऊपारा चौक से पैदल रैली निकाल कर कलेक्टर परिसर पहुंच कर प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा । हसदेव वनो के मुद्दे की गूंज आज प्रदेश, देश और विदेश के कई हिस्सों में गूंज रही है। जगह जगह ये बात फ़ैल चुकी है। अगर ये दन नहीं बचेंगे तो भविष्य में छतीसगढ़ एवं उत्तर भारत के कई हिस्सों में सूखे और बाढ़ कि गंभीर स्थिति निर्मित होगी। जंगलों के कटने से जांजगीर, चांपा, अकलतरा, एवं कोरबा की 4 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जो हसदेव नदी पर निर्मित बांगो बांध की नहरों पर निर्भर है। वह संकटग्रस्त हो जाएगी। वहीं कर्क रेखा पर स्थित इन जंगलों की संभावित अनुपस्थिति के कारण अगर मानसूनी वर्षा छत्तीसगढ़ में नहीं होगी, तो यही बादल हिमालयी पर्वतों से टकराकर उत्तर प्रदेश, बिहार, एवं नेपाल में गंभीर जलप्लावन उत्पन्न करेंगे। अतः हसदेव के जंगलों के नष्ट होने से उत्पन्न होने वाली स्थिति के पूर्वानुमान में न केवल छत्तीसगढ़ के लोगों का भविष्य संकट में दिख रहा है बल्कि सारे उत्तर भारत एवं नेपाल के लिए भी गंभीर प्राकृतिक विडम्बनाएं पैदा होंगी। ऐसे में हम मुंगेली वासी जिनका जीवन भी छत्तीसगढ़ के जल जंगल जमीन से जुड़ा है चुप नहीं बैठ सकते। मुंगेली के नागरिक आज दाउपारा चौक से कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर हसदेव के जंगलों की कोल ब्लाकों हेतु कटाई रोकने हेतु हसदेव क्षेत्र के समस्त कोल ब्लॉक निरस्त करने की आपसे मांग करते हैं। देश का पर्यावरण नष्ट करने के ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध दर्ज करते हैं। रैली का उद्देश्य यह है हसदेव के आबंटित कोल ब्लॉकों, जिसमें PEKB Extension भी शामिल है, के निरस्तीकरण की देश में उठती मांगों को भारत सरकार द्वारा दरकिनार करने पर, उसका सम्पूर्णतः विरोध करना और सरकार को याद
दिलाना कि लोकतंत्र के भलाई के लिए आप कैल ब्लाकों को निरस्त करने हेतु बाध्य हैं। अतः हम हमारी रैली से सरकार से यह आग्रह करते हैं कि हसदेव क्षेत्र के सभी ब्लॉकों – जिनमें PEKB एक्सटेंशन भी शामिल है का निरस्तीकरण हो और संपूर्ण क्षेत्र को हमेशा के लिए पुनः नो गो क्षेत्र घोषित किया जाए। वही जनता का कहना है कि हम अपने इस आंदोलन के माध्यम से यही संदेश देना चाहते हैं कि हम तब तक आंदोलित रहेंगे, जब तक हमारी मांगें मान नहीं ली जातीं।