ApnaCg@मंदिर में पूजा अर्चना एवं भजन कीर्तन कर वितरित किया गया प्रसाद।
मुंगेली@अपना छत्तीसगढ़ – पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि सावन महीने में ही समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की. लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीला पड़ गया. इसलिए महादेव को नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाने लगा ।सावन का महीना शिव और शिव भक्तों का प्रिय महीना है. इस महीने में भोलेनाथ के लिंग रूप की पूजा का खास महत्व है. कहा जाता है कि इस महीने में शिव लिंग पर जल चढ़ाने वाले भक्तों को विशेष वरदान मिलता है और उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि विष का प्रभाव कम करने के लिए ही सावन में शिव जी पर जल चढ़ाया जाता है।
यही वजह है कि दूसरे महीनों के मुकाबले सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है. सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । बोल बम बोल बम के जयकारे के साथ मुंगेली केशरवानी महिला समिति की सदस्यों ने हर वर्ष की भांति शिवभक्ति करते हुऐ स्थानीय राधाकृष्ण मंदिर से पद- यात्रा करते गोल बाजार, पुराना बस स्टैंड, बालानी चौक, भट्ट मोहल्ले से नंदी चौक स्थित शंकर मंदिर में भोलेनाथ बाबा को जल अर्पित कर बड़े ही धूमधाम से पूजा-अर्चना – आरती कर ढोलक – मंजीरे की थाप में भजन- कीर्तनकर प्रसाद वितरण किया ।