ApnaCg@विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष हेमेन्द्र गोस्वामी ने लोगो से अपील की है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की योजनओं के अनुरूप पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक कदम स्वछता की ओर बढाये।
मुंगेली@अपना छत्तीसगढ़ – हर साल की तरह इस साल भी पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाना है। सारा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से से जूझ रहा है विगत कुछ सालों से हम सभी मिलकर वृक्ष लगाते आ रहे हैं। क्यूं न इस साल भी आप सभी से करबद्ध निवेदन है कि क्यों न पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिएहम सभी मिलकर वृक्षारोपण करते हैं आओ सब पर्यावरण को बचाएं आने वाले कल को बचाएं। बोलेगी चिड़िया डाली डाली चारो ओर होगी हरियाली । स्मार्ट सिटी सडको के लिए हजारो पेडो की बली दी जा चुकी है, वही नई योजनाओं के लिए प्रतिवर्ष हरे भरे पेडो को काट दिया जाता है, ऐसे में विगत कुछ समय से पर्यावरण पे्रमियो, समाज सेवी संस्थाओं सहित प्रशासन ने भी जिले को हरा भरा रखने की मुहिम प्रारंभ की है, ताकि जिले में चहुओर हरियाली का वातारण बना रहे । इसी तारतम्य में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन नगर पालिका सहित जिले के समाज सेवी संस्थाओं द्वारा वृहत रूप से पेड लगाओं अभियान का आगाज किया जायेगा । 5 तारिख को होने वाले पर्यावरण दिवस को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष हेमेन्द्र गोस्वामी ने लोगो से अपील की है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की योजनओं के अनुरूप पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक कदम स्वछता की ओर बढाये , ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थिित होकर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पेड लगाए और श्रम दान करे ।
1. निरोगी रहने की शर्त पहाड़ – यदि किसी शहर के आसपास पहाड़ हैं, तो सबसे बेहतर वातावरण रहेगा। समय पर बारिश, सर्दी, गर्मी होगी और मौसम भी सुहाना होगा। बेहतर वातावरण के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। लेकिन अब कई शहरों के पहाड़ कटने से वातावरण में बदलाव हो चला है जिसके चलते कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन हो रहे हैं।
2. पहाड़ है तो पानी है : हजारों-हजार साल में गांव-शहर बसने का मूल आधार वहां पानी की उपलब्धता होता था। पहले नदियों के किनारे सभ्यता आई, फिर ताल-तलैयों के तट पर बस्तियां बसने लगीं। जरा गौर से किसी भी आंचलिक गांव को देखें, जहां नदी का तट नहीं है- वहां कुछ पहाड़, पहाड़ के निचले हिस्से में झील और उसको घेरकर बसी बस्तियां हैं। पहाड़ नहीं होगा तो शहर रेगिस्तान लगेगा। रेगिस्तान में पानी की तलाश व्यर्थ है।
3. भू-जल स्तर घट रहा : पहाड़ पर हरियाली बादलों को बरसने का न्योता होती है, पहाड़ अपने करीब की बस्ती के तापमान को नियन्त्रित करते हैं और अपने भीतर वर्षा का संपूर्ण जल संवरक्षित कर लेते हैं। इससे आसपास की भूमि का जल स्तर बढ़ जाता है। कुएं, कुंडियों, तालाबों और नलकूपों में भरपूर पानी रहता है। किसी पहाड़ी के कटने के बाद इलाके के भूजल स्तर पर असर पड़ने, कुछ झीलों, तालाबों आदि का पानी पाताल में चले जाने की घटनाओं पर कोई ध्यान नहीं देता। क्या किसी वैज्ञानिक ने इसकी जांच की है कि पहाड़ों के कटने से भूकंप की संभावनाएं भी बढ़ जाती है?
4. औषधियों का खजाना पहाड़ : झरने भी पहाड़ से ही गिरते हैं किसी मंजिल या बिल्डिंग से नहीं। पहाड़ हवाएं शुद्ध करता है तो भूमि का जलस्तर भी बढ़ता है। पहाड़ के कारण आसपास चारागाह निर्मित होता है तो वन्य जीवों को भी प्रचूर मात्रा में भोजन मिलता है। पहाड़ है तो जंगल है, जंगल है तो जीवन है।