ApnaCg @ग्राम सभा में श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा का सातवा दिवस
बिलासपुर@अपना छत्तीसगढ़ – बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड के क्षेत्र में आने वाला ग्राम पंचायत सैदा जहां पर स्वर्गीय श्री वेद प्रकाश दुबे जी की पिछले वर्ष कोरोना काल में आकस्मिक मृत्यु हो गई थी जिस के उपलक्ष में दुबे परिवार के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन एवं वार्षिक श्राद्ध का आयोजन ग्राम सैदा में किया गया है जहां पर व्यासपीठ दी से कथावाचक पंडित श्री चंद्रिका प्रसाद मिश्रा जी अमलडीहा वाले (पंडरिया) के द्वारा बड़े ही विनम्र भाव शब्दों से भागवत कथा का रसपान कराया जा रहा है व्यास गद्दी से चंद्रिका प्रसाद मिश्रा जी के द्वारा आज कृष्ण भगवान की लीलाओं का बखान कराया जा रहा हैं तथा आज रुख्मणी विवाह के उपरांत कृष्ण का क्या-क्या जीवन व्यतीत हुआ और कैसे लोग रहे क्या क्या नियम होनी चाहिए और भगवान कृष्ण के कितनी रानी और पटरानी रहे इन सभी वाक्यांशों का प्रादुर्भाव हुआ तथा अंत में सुदामा चरित्र की कथा जो भक्त और भगवान को कैसे मिलाते हैं इन शब्दों का भी शब्दावली प्रस्तुत कराया गया।व्यासपीठ गद्दी से पंडित श्री चंद्रिका प्रसाद मिश्रा जी के द्वारा बताया गया कि कैसे भक्त की पुकार से भगवान आ जाते हैं बस मन में श्रद्धा और भाव का उत्पन्न होना जरूरी है क्योंकि भगवान भक्त के बस में होते हैं जिस प्रकार से शबरी माता की पुकार से प्रभु राम आए, ध्रुव के तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आए, प्रहलाद की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने वराह रूप में दर्शन दिए,वैसे ही आज सुदामा भी भगवान को याद करते करते कैसे भगवान दीनबंधु दीनानाथ अखिल भुवन पति ब्रह्मांड नायक श्री कृष्ण के दरबार में पहुंचे और क्या-क्या उनके जीवन पर आधारित घटनाक्रम हुई इस प्रकार से सुदामा चरित्र की कथा का भी वर्णन हुआ कि कैसे एक मित्र अपने दूसरे मित्र से गले लगा कर क्या-क्या अपने आंखों के नैनो के अश्रुओं की धार से कह रहे हैं। सुदामा और कृष्ण की मिलन से मानो द्वारिका का मनोहारी दशा का वर्णन हो रहा है सुदामा श्रीकृष्ण को अपने इष्ट देव मानते थे और गुरुकुल में पढ़ने के समय दोनों मित्र भी थे सखा भाई थे और आज सुदामा कृष्ण से मिलकर गदगद हो गए हैं और कृष्ण से गला लगते ही अपने पूरे दुख दर्द को भूल गए हैं। पंडित चंद्रिका प्रसाद मिश्रा जी ने बताया कि प्रभु प्रेम और भाव से रिझ जाते हैं उसे किसी भी प्रकार की धन या वैश्विक सुख संपदा की आवश्यकता नहीं होती है भगवान प्रेम के ही भूखे रहते हैं भक्ति और प्रेम से प्रभु को पाया जा सकता है। पंडित जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि काहे बेहाल ब्यावन हो पग पंकज जाल लगे पुनि जोए पायो महा दुख हाए सखा तुम अरे इतै तकि तै दिन खोये देखि सुदामा के दीन दशा करुणा करिके करुणानिधि रोए पानी परात को छुवए नही नैनन के जल से पग धोए
शब्दार्थ से स्पष्ट हो रहा है कि कैसे प्रभु श्री कृष्ण ने सुदामा की हर एक पहलू पर ध्यान देते हुए उसे अपने गले से लगा लिया और चार मिले 64 खिले 20 खड़े कर जोर, हरिजन से हरिजन मिले तो बिहसे सात करोड़ इस प्रकार की भाव से श्री कृष्ण ने अपने नैनो की अश्रु से सुदामा के श्री चरण धोए और पैर में जितने भी सुदामा के कांटे गड़े थे उसे एक-एक करके निकाल कर उसे अपने गले से लगा लिए इस प्रकार की भागवत कथा का यह रसपान कराते हुए पंडित जी ने सभी का मंत्र मुक्त कर दिया और दुबे परिवार की आयोजन में लगातार कथा का समय सुबह 11:00 से 2:00 बजे तक दोपहर 3:00 से 6:00 बजे तक है, परायणकर्ता पंडित दिनेश पांडे तथा श्रीमती शकुंतला दुबे, श्रीमती सुनीता दुबे, अखिलेश-श्रीमती नेहा दुबे,पवन -श्रीमती उमा पाठक, केशव -श्रीमती श्वेता दुबे के साथ सारांश, सूर्यास्त, अनीता, खुशी,अर्पिता, सार्थक, समर्थ, के साथ प्रेषक अखिलेश दुबे ग्राम जुनीपारा सैदा जिला बिलासपुर के द्वारा भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ कराया जा रहा है।