ApnaCg@करवाचैथ का पर्व नगर व अंचल में उत्साह से मना
मुंगेली@अपना छत्तीसगढ़ – आस्था एवं विश्वास का पर्व करवा चैथ नगर व ग्रामीण अंचल में घरो-घर महिलाओं द्वारा उत्साह पूर्वक मनाया। सुहागिने अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करते हुए दिनभर निर्जला व्रत रखी। साज श्रंगार कर चन्द्रोदय के समय पूजा अर्चना कर पति के हाथों पानी पीकर व्रत का समापन की। आस्था और विश्वास का प्रतीक पर्व को महिलाओं ने दिनभर निर्जला उपवास रख रात्रि में पूजा अर्चना कर अपने व्रत पूर्ण की। सुहागिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य की कामना कर करवाचैथ का पूजा अर्चना करती रही। महिलाएं सुबह से ही पर्व की तैयारियो में जुटी रही। हांथों में मेहंदी व पूर्ण साज श्रृंगार कर रात में चांद निकलने का इंतजार करती रही।इस बार की बरसात ने जहां लोगों को परेशान किया वंही करवाचैथ को रात्रि में बदली छाये रहने से महिलाओं को एक घण्टे के बाद चांद दिखाई दिया जो भी बादलों में लुका- छिपी करते रहा एक घण्टे बाद थोड़ी स्थिति स्पष्ट हुई और चांद से दीदार हुआ।
चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनने की मान्यता के तहत पूजा की जाती है। चन्द्रोदय के उजाले से ही सोलह श्रृंगार से परिपूर्ण महिलाएं चांद की पूजा-अर्चना की। निर्धारित समय चन्द्रोदय पश्चात करवा चैथ की पूजा कर चांद को अधर््य देकर पूजा अर्चना कर पति के हाथों जल ग्रहण कर अपना व्रत खोली। हिन्दु धर्म में करवा चैथ ही मात्र एक ऐसा पर्व है जिसमें चन्द्रमा की पूजा की जाती है आदिकाल से करवा चैथ मनाने की परम्परा रही है जो आज के इस आधुनिक युग में अनवरत जारी है। जो परिवार की संस्कृति का द्योतक है और यह पर्व परिवार में पति के लम्बी आयु के लिए रखा जाता है। आदिकाल से करवा चैथ मनाने की परम्परा रही है जिसमें महिलाएं सक्रिय रहती थी लेकिन आज के इस आधुनिक युग में करवा चैथ पर्व में पुरूषों के भूमिका भी उल्लेखनीय हो गई है और पुरूष इस पर्व में महिलाओं को सहयोग करने लगे है। आज के इस डिजिटल युग में करवा चैथ पर्व में महिलाओं को पति का भरपूर सहयोग मिलने लगा है जिससे इस पर्व में पत्नि के साथ पति की भूमिका भी उल्लेखनीय हो गई है। जिसके चलते व्रत रखने वाले महिलाओं को पति का सहयोग मिलने लगा है जिसके चलते श्रंगार हेतु ब्यूटी पार्लर, मेहदी लगाने के लिए टेटू बनवाने के लिए व बाजार में खरीददारी के लिए पति भी सक्रियता से सहयोग करने लगे है जिसके चलते महिलाओं का इस पर्व में उत्साह दुगना हो गया है। जिससे वे व्रत थकने वाला नहीं बल्कि आंनददायक साबित होने लगा हे।