ApnaCg @केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज जम्मू में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 83वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए
ये पहला अवसर है जब सीआरपीएफ़ अपना स्थापना दिवस दिल्ली से बाहर मना रहा है
भारत सरकार ने एक निर्णय किया है कि सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ़) की वार्षिक परेड देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित की जाएगी
इसके पीछे उद्देश्य है कि देश की सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा में लगे सभी सीएपीएफ़ संगठन अलग-अलग हिस्सों में जाकर देश की जनता के साथ आत्मीय संबंध बनाएं और देश की संस्कृति के साथ घुलमिल कर अपने आप को सदैव ड्यूटी के लिए समर्पित करें
इसी भूमि से पंडित प्रेमनाथ डोगरा और श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को भारत का अटूट हिस्सा बताते हुए एक देश में दो प्रधान, दो निशान और दो विधान नहीं चलेंगे, इस पर आंदोलन किया था
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेमनाथ डोगरा, दोनों का एक प्रधान, एक निशान और एक विधान का स्वप्न आज पूरा हुआ है
सीआरपीएफ़ की स्थापना से लेकर आज तक 2340 सीआरपीएफ़ कर्मियों ने बलिदान दिया है
पहले देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हुए और बाद में देश की आंतरिक सुरक्षा, नक्सलवाद और आतंकवाद से लड़ते व दंगों से निपटते हुए बलिदान देने वाले सभी सीआरपीएफ़ जवानों को पूरे देश की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि देना चाहता हूं
देश का इतिहास जब भी लिखा जाएगा इन 2340 कर्मियों का बलिदान स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा
जिन्हें मरणोपरांत सम्मान मिले हैं, उनके परिजनों से मैं कहना चाहता हूं कि आपके बेटे, पति, भाई की शहादत कभी विफल नहीं जाएगी और ये देश युगों-युगों तक उनकी शहादत को याद रखेगा
CRPF ने खुद का विचार करे बगैर देश व देशवासियों की सुरक्षा का विचार करने की जो एक परम्परा खड़ी की है मुझे विश्वास है की बल के सभी जवान इस परम्परा को इसी समर्पण के साथ आगे बढ़ाएंगे
सीआरपीएफ़ सिर्फ एक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ही नहीं है बल्कि देश का बच्चा-बच्चा सीआरपीएफ़ के जवानों के समर्पण, बलिदान और त्याग की भावना की सराहना करता है
कोई भी स्थिति हो, सीआरपीएफ़ के जवान आते ही लोगों के मन में विश्वास आ जाता है कि अब सीआरपीएफ़ परिस्थिति को संभाल लेगी और ये विश्वास अनेक वर्षों के परिश्रम और उज्ज्वल इतिहास के आधार पर आता है
चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर में पाक-प्रेरित आतंकवादियों का सामना करना हो या फिर उत्तरपूर्व में अशांति फैलाने वाले समूहों को समाप्त कर वहां शांति बहाल करना हो, इन तीनों क्षेत्रों में सीआरपीएफ़ ने बहुत सराहनीय भूमिका निभाई है
आज ही के दिन 1950 में देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरूष सरदार पटेल ने सीआरपीएफ़ को ध्वज दिया था
ये संगठन आज 246 बटालियन और 3,25,000 जवानों के बल के साथ देश का सबसे बड़ा सशस्त्र बल बन गया है जिसकी विश्वसनीयता का लोहा ना सिर्फ़ देश बल्कि दुनिया के सभी सशस्त्र बल मानते हैं
आज सीआरपीएफ़ के स्थापना दिवस पर हम हॉट स्प्रिंग को कैसे भूल सकते हैं जब 21 अक्तूबर, 1959 को चीनी सेना ने हमला किया था और सीआरपीएफ़ के जवान बहुत कम संख्या में होने के बावजूद उनसे भिड़ गए और देश की एक-एक इंच ज़मीन के लिए वीरता से लड़कर अपने प्राणों का बलिदान दिया
इसीलिए 21 अक्तूबर को देश के सभी पुलिस बल पुलिस दिवस के रूप में मनाकर हॉट स्प्रिंग पर सीआरपीएफ़ के जवानों ने जो वीरता और बलिदान का जज़्बा दिखाया था उससे प्रेरणा लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए फिर से अपने आप को समर्पित करते हैं
9 अप्रैल, 1965 को कच्छ में सरदार पोस्ट पर जब पाकिस्तानी इन्फ़ेन्ट्री ब्रिगेड ने हमला कर दिया था, तब भी सीआरपीएफ़ के जवान वहां मौजूद थे
उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए, शरीर में रक्त की एक बूंद बाक़ी रहने तक लड़ाई लड़ी और देश की भूमि को बचाने का प्रयास किया
देश में चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, देश में सबसे बड़ी ड्यूटी का निर्वहन करने वाला कोई सशस्त्र बल है तो वह सीआरपीएफ है
एक जमाने में देशभर में भीषण दंगे होते थे और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की स्थापना के बाद उसने कम से कम बलप्रयोग के साथ दंगों पर नियंत्रण करने की नई पद्धतियाँ विकसित की हैं
आरएएफ़ की दृढ़ता उतनी ही है जितनी होनी चाहिए लेकिन कम से कम बलप्रयोग के साथ दंगाईयों को शांत करने में आरएएफ़ एक प्रकार की नई कला के साथ बहुत विश्वासपूर्ण तरीके से सफल हुआ है
रैपिड एक्शन फोर्स ने स्टेट रिजर्व पुलिस को भी प्रशिक्षित करने का अभियान चलाया, इससे एकरूपता के साथ रैपिड एक्शन फोर्स और स्टेट रिजर्व पुलिस, दोनों साथ में मिलकर काम करते हैं और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं
मैं मानता हूं कि 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य तभी सिद्ध हो सकता है जब देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत हो और इसे सुनिश्चित करने में सीआरपीएफ बहुत बड़ी भूमिका है
सीआरपीएफ भी आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में शताब्दी तक के लक्ष्य का एक रोडमैप, आने वाली चुनौतियां व आने वाली और उपलब्ध टेक्नोलॉजी को आत्मसात करने की रणनीति बनाकर सीआरपीएफ को सबसे आधुनिक, सक्षम और प्रभावी सशस्त्र बल बनाए
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद जम्मू कश्मीर की स्थिति में इतने कम समय में ही बहुत बड़ा परिवर्तन आया है और जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को गांव तक पहुंचाने की शुरुआत हुई है
आज जम्मू कश्मीर और देशभर के लिए गर्व की बात है कि 30,000 से ज्यादा जनप्रतिनिधि लोकतंत्र का हिस्सा बने हैं और हर गांव में पंच और सरपंच गांव को विकास के रास्ते पर ले जा रहे हैं
तहसील पंचायत बनी है, जिला पंचायत बनी है, और लोकतंत्र को जमीन पर पहुंचाने में आज नरेंद्र मोदी सरकार को बहुत बड़ी सफलता मिली है
धारा 370 हटाने के कारण दलितों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं और पहाड़ी लोगों को, जो एक प्रकार से विकास की प्रक्रिया से कहीं ना कहीं कटे हुए थे, नए कानूनों के तहत इन सबको समाहित करते हुए सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी विकास की शुरुआत हुई है
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर एक निर्णायक नियंत्रण हासिल करने में सशस्त्र बलों को सबसे बड़ी सफलता मिली है
यहां औद्योगिक विकास भी हुआ है और 33,000 करोड रूपए से ज्यादा के निवेश को जमीन पर उतारने में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सफलता मिली है
प्रधानमंत्री पैकेज के सारे पहलुओं को पूर्ण करने के लिए द्रुत गति से काम हो रहा है और हर घर जल और बिजली पहुंचाना, कोरोना के ख़िलाफ़ एक अद्भुत व्यवस्था खड़ी करना, हर घर शौचालय, हर घर में आयुष्मान भारत कार्ड पहुंचाना, इन सारी योजनाओं में जम्मू-कश्मीर ने शत प्रतिशत सफलता हासिल की है
सड़क निर्माण में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 5 साल में सड़क निर्माण आजादी के बाद सबसे तेज रफ्तार के साथ हुआ है
7 नए मेडिकल कॉलेज बने हैं, दो एम्स बने हैं, 21 जलविद्युत योजनाओं को शुरू कर दिया गया है
हर क्षेत्र में पारदर्शिता लाने में जम्मू-कश्मीर सरकार को बड़ी सफलता मिली है
आजादी के बाद पहली बार भ्रष्टाचार के विरोध में यहां दो प्रकार से एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया है, भ्रष्ट लोगों को नसीहत देने और प्रशासन में भ्रष्टाचार कैसे ख़त्म हो, इसके लिए भी एक बहुत बड़ा बदलाव जम्मू कश्मीर प्रशासन ने किया है
3,25,000 जवानों का यह बल आज देश की आंतरिक सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए अपने आपको पुन: समर्पित करे और सीआरपीएफ के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को तेजस्विता के साथ और आगे बढ़ाने का संकल्प करे
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज जम्मू में केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 83वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने परेड का निरीक्षण भी किया। समारोह में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। ये पहला अवसर है जब सीआरपीएफ़ अपना स्थापना दिवस दिल्ली से बाहर मना रहा है।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने एक निर्णय किया है कि सभी केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ़) की वार्षिक परेड देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित की जाएगी। इसके पीछे उद्देश्य है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा में लगे सभी सीएपीएफ़ संगठन अलग-अलग हिस्सों में जाकर देश की जनता के साथ आत्मीय संबंध बनाएं और देश की संस्कृति के साथ घुलमिल कर अपने आप को सदैव ड्यूटी के लिए समर्पित करें। इसी के तहत सीआरपीएफ़ की वार्षिक परेड आज ऐतिहासिक शहर जम्मू में आयोजित की गई है।
अमित शाह ने कहा कि इसी भूमि से पंडित प्रेमनाथ डोगरा और श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को भारत का अटूट हिस्सा बताते हुए एक देश में दो प्रधान, दो निशान और दो विधान नहीं चलेंगे, इस पर आंदोलन किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेमनाथ डोगरा, दोनों का एक प्रधान, एक निशान और एक विधान का स्वप्न पूरा हुआ है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सीआरपीएफ़ की स्थापना से लेकर आज तक 2340 सीआरपीएफ़ कर्मियों ने बलिदान दिया है। पहले देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हुए और बाद में देश की आंतरिक सुरक्षा करते हुए, नक्सलवाद, आतंकवाद से लड़ते हुए और दंगों से निपटते हुए बलिदान देने वाले उन सभी सीआरपीएफ़ जवानों को पूरे देश की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि देना चाहता हूं। देश का इतिहास जब भी लिखा जाएगा इन 2340 कर्मियों का बलिदान स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। आज जिन्हें मरणोपरांत पुरस्कार मिले हैं, उनके परिजनों से मैं कहना चाहता हूं कि आपके बेटे, पति, भाई की शहादत कभी विफल नहीं जाएगी और ये देश युगों-युगों तक उनकी शहादत को याद रखेगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि CRPF ने खुद का विचार करे बगैर देश व देशवासियों की सुरक्षा का विचार करने की जो एक परम्परा खड़ी की है मुझे विश्वास है की बल के सभी जवान इस परम्परा को इसी समर्पण के साथ आगे बढ़ाएंगे। श्री शाह ने कहा कि सीआरपीएफ़ सिर्फ एक सीएपीएफ़ ही नहीं है बल्कि देश का बच्चा-बच्चा सीआरपीएफ़ के जवानों के समर्पण, बलिदान और त्याग की भावना की सराहना करता है। कोई भी स्थिति हो, सीआरपीएफ़ के जवान आते ही लोगों के मन में विश्वास आ जाता है कि अब सीआरपीएफ़ परिस्थिति को संभाल लेगी। ये विश्वास ऐसे ही नहीं आता, बल्कि अनेक वर्षों के परिश्रम और उज्ज्वल इतिहास के आधार पर आता है।
अमित शाह ने कहा कि चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र हो, कश्मीर में पाक-प्रेरित आतंकवादियों का सामना करना हो या फिर उत्तरपूर्व में अशांति फैलाने वाले समूहों को समाप्त करके वहां शांति बहाल करना हो, इन तीनों क्षेत्रों में सीआरपीएफ़ ने बहुत सराहनीय भूमिका निभाई है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज ही के दिन 1950 में देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरूष सरदार पटेल ने सीआरपीएफ़ को ध्वज दिया था। वहां से शुरू हुआ ये संगठन आज 246 बटालियन और 3,25,000 जवानों के बल के साथ देश का सबसे बड़ा सशस्त्र बल बन गया है जिसकी विश्वसनीयता का लोहा ना सिर्फ़ देश बल्कि दुनिया के सभी सशस्त्र बल मानते हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज सीआरपीएफ़ के स्थापना दिवस पर हम हॉट स्प्रिंग को कैसे भूल सकते हैं। 21 अक्तूबर, 1959 को जब चीनी सेना ने हमला किया, सीआरपीएफ़ के जवान बहुत कम संख्या में होने के बावजूद उनसे भिड़ गए और देश की एक-एक इंच ज़मीन के लिए वीरता से लड़कर अपने प्राणों का बलिदान दिया और पूरा देश कभी भी उस घटना को नहीं भूल सकता। इसीलिए 21 अक्तूबर को देश के सभी पुलिस बल पुलिस दिवस के रूप में मनाकर हॉट स्प्रिंग पर सीआरपीएफ़ के जवानों ने जो वीरता और बलिदान का जज़्बा दिखाया था, उससे प्रेरणा लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए फिर से अपने आप को समर्पित करते हैं। 9 अप्रैल, 1965 को कच्छ में सरदार पोस्ट पर जब पाकिस्तानी इन्फ़ेन्ट्री ब्रिगेड ने हमला कर दिया था, तब भी सीआरपीएफ़ के जवान वहां मौजूद थे। उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए, शरीर में रक्त की एक बूंद बाक़ी रहने तक लड़ाई लड़ी और देश की भूमि को बचाने का प्रयास किया। ये दोनों घटनाएं देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखी गईं और सीआरपीएफ और पूरे देश को हमेशा इन दोनों घटनाओं पर गर्व होता है, इसीलिए 9 अप्रैल को हम शोर्य दिन के रूप में भी मनाते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि एक जमाना था जब नक्सलवाद, नॉर्थ ईस्ट थियेटर, कश्मीर में पाक-प्रेरित आतंकवाद के तहत 1990 के दशक में इन सभी जगहों पर हिंसा चरम पर थी और देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति देखकर हर नागरिक के मन में चिंता होती थी कि देश का भविष्य क्या होगा। मगर दो दशक के समय में ही चाहे नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र हो, नॉर्थईस्ट हो, कश्मीर हो, सभी जगह पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए आज सीआरपीएफ देश को क्षीण करने वाली शक्तियों को समाप्त करने की ओर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का उत्सव होता है और निष्पक्ष व निर्भीक चुनाव और निर्भिक रूप से मत की अभिव्यक्ति चुनाव की आत्मा होती है। देश में चाहे विधानसभा चुनाव हो, या लोकसभा चुनाव हो, देश में सबसे बड़ी ड्यूटी का निर्वहन करने वाला कोई सशस्त्र बल है तो वह सीआरपीएफ है। देश में लोकतंत्र को सुरक्षित रखने में भी सबसे बड़ा योगदान सीआरपीएफ का है क्योंकि निर्भीक चुनाव और निर्भीक मत की अभिव्यक्ति के बगैर कोई भी लोकतंत्र अपने आप को मजबूत नहीं रख सकता। अमित शाह ने कहा कि एक जमाने में देशभर में भीषण दंगे होते थे और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की स्थापना के बाद उसने कम से कम बलप्रयोग के साथ दंगों पर नियंत्रण करने की नई पद्धतियाँ विकसित की हैं। आरएएफ़ की दृढ़ता उतनी ही है जितनी होनी चाहिए लेकिन कम से कम बलप्रयोग के साथ दंगाईयों को शांत करने में आरएएफ़ एक प्रकार की नई कला के साथ बहुत विश्वासपूर्ण तरीके से सफल हुआ है। देश के दंगों का इतिहास देखें तो उसके दो हिस्से दिखाई देंगे, आरएएफ की स्थापना के पहले के दंगे और आरएएफ की स्थापना के बाद के दंगे। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि आरएएफ की स्थापना के बाद देश में दंगों को बहुत कम करने में रैपिड एक्शन फोर्स को सफलता मिली है। रैपिड एक्शन फोर्स ने स्टेट रिजर्व पुलिस को भी प्रशिक्षित करने का अभियान चलाया, इससे एकरूपता के साथ रैपिड एक्शन फोर्स और स्टेट रिजर्व पुलिस, दोनों साथ में मिलकर काम करते हैं और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि यह आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और देश के प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव में देश की 130 करोड़ जनता के सामने एक लक्ष्य रखा है कि जब हम आजादी की शताब्दी मना रहे होंगे, उस वक्त दुनिया में हर क्षेत्र में भारत प्रमुख स्थान पर हो। देश के सामने 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी का लक्ष्य हमारे प्रधानमंत्री ने रखा है और मैं मानता हूं कि 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य तभी सिद्ध हो सकता है जब देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत हो और आंतरिक सुरक्षा के बारे में हम सुनिश्चित हो और सीआरपीएफ की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होने कहा कि सीआरपीएफ भी आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में शताब्दी तक के लक्ष्य का एक रोडमैप, आने वाली चुनौतियां और आने वाली और उपलब्ध टेक्नोलॉजी को आत्मसात करने की रणनीति बनाकर सीआरपीएफ को सबसे आधुनिक, सक्षम और प्रभावी सशस्त्र बल बनाए।
अमित शाह ने कहा कि आज मैं जम्मू-कश्मीर की स्थिति की भी बात करना चाहूंगा। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद जम्मू कश्मीर की स्थिति में इतने कम समय में ही बहुत बड़ा परिवर्तन आया है और जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को गांव तक पहुंचाने की शुरुआत हुई है। आज जम्मू कश्मीर और देशभर के लिए गर्व की बात है कि 30,000 से ज्यादा जनप्रतिनिधि लोकतंत्र का हिस्सा बने हैं और हर गांव में पंच और सरपंच गांव को विकास के रास्ते पर ले जा रहे हैं। तहसील पंचायत बनी है, जिला पंचायत बनी है और लोकतंत्र को जमीन पर पहुंचाने में आज नरेंद्र मोदी सरकार को बहुत बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटाने के कारण दलितों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं और पहाड़ी लोगों को, जो एक प्रकार से विकास की प्रक्रिया से कहीं ना कहीं कटे हुए थे, नए कानूनों के तहत इन सबको समाहित करते हुए सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी विकास की शुरुआत हुई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर एक निर्णायक नियंत्रण हासिल करने में सशस्त्र बलों को सबसे बड़ी सफलता मिली है। यहां औद्योगिक विकास भी हुआ है और 33,000 करोड रूपए से ज्यादा के निवेश को जमीन पर उतारने में जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सफलता मिली है। प्रधानमंत्री पैकेज के सारे पहलुओं को पूर्ण करने के लिए द्रुत गति से काम हो रहा है। हर घर जल और बिजली पहुंचाना, कोरोना के ख़िलाफ़ एक अद्भुत व्यवस्था खड़ी करना, हर घर शौचालय पहुंचाना, हर घर में आयुष्मान भारत कार्ड पहुंचाना, इन सारी योजनाओं में शत प्रतिशत सफलता जम्मू-कश्मीर ने हासिल की है। सड़क निर्माण में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 5 साल में सड़क निर्माण आजादी के बाद सबसे तेज रफ्तार के साथ हुआ है। चाहे नेशनल हाईवे हो, स्टेट हाईवे हो, गांव को जोड़ने वाले छोटे-छोटे रास्ते हों, हर क्षेत्र में रिकॉर्ड तोड़ने का काम जम्मू कश्मीर प्रशासन ने किया है। 7 नए मेडिकल कॉलेज बने हैं, दो एम्स बने हैं, 21 जलविद्युत योजनाओं को शुरू कर दिया गया है। हर क्षेत्र में पारदर्शिता लाने में जम्मू-कश्मीर सरकार को बड़ी सफलता मिली है। आजादी के बाद पहली बार भ्रष्टाचार के विरोध में यहां दो प्रकार से एक बहुत बड़ा अभियान से चलाया गया है, भ्रष्ट लोगों को नसीहत देने का अभियान और प्रशासन से भ्रष्टाचार कैसे ख़त्म हो, इसके लिए भी एक बहुत बड़ा बदलाव जम्मू कश्मीर प्रशासन ने किया है।
अमित शाह ने कहा कि पूरा देश सीआरपीएफ पर हमेशा गर्व करता है। आज सीआरपीएफ का स्थापना दिन है और 3,25,000 जवानों का यह बल आज देश की आंतरिक सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए अपने आपको पुन: समर्पित करे और सीआरपीएफ के एतिहासिक रिकॉर्ड को तेजस्विता के साथ और आगे बढ़ाने का संकल्प करे।