ApnaCg @बड़ा सवाल:क्या कांग्रेस ने भारत को बर्बाद करने की ठान ली है? सैम पित्रोदा ने किया भारत में विरासत टैक्स लगाने का समर्थन, बोले- मरने के बाद आधी संपत्ति जनता को दो अमेरिका का निष्पक्ष कानून मुझे अच्छा लगता है: सैम पित्रोदा

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रिपोर्ट: मनोज सिंह ठाकुर


नई दिल्ली@अपना छत्तीसगढ़ । मंगलसूत्र, संपत्ति विवाद पर एक बार फिर सियासी हंगामा खड़ा हो गया है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने संपत्ति वितरण को लेकर अमेरिका के शिकागो में एक बयान दिया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को ट्रांसफर कर सकता है। उन्होंने आगे कहा,”55 फीसदी सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है। यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए- पूरी नहीं, आधी। ये जो निष्पक्ष कानून है मुझे अच्छा लगता है।

*भाजपा नेता ने बयान पर जताई आपत्ति*

सैम पित्रोदा के इस बयान पर भाजपा नेता और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा नेता ने एक्स पर लिखा,कांग्रेस ने भारत को बर्बाद करने की ठान ली है। अब, सैम पित्रोदा संपत्ति वितरण (Inheritance Tax in India) के लिए 50 फीसदी विरासत कर की वकालत करते हैं। इसका मतलब यह है कि हम अपनी सारी मेहनत और उद्यम से जो कुछ भी बनाएंगे, उसका 50 फीसदी छीन लिया जाएगा। इसके अलावा अगर कांग्रेस जीतती है तो हम जो भी टैक्स देते हैं, वह भी बढ़ जाएगा।”

*प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना*

पीएम मोदी के संपत्ति बंटवारे वाले बयान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मंगलवार को टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “पिछले 2 दिनों में अब ये शुरू हुआ है कि कांग्रेस के लोग आपका मंगलसूत्र और सोना छीनना चाहते हैं। 70 सालों से ये देश स्वतंत्र है, 55 सालों के लिए कांग्रेस की सरकार रही तब क्या किसी ने आपका सोना छीना और आपके मंगलसूत्र छीने? जब देश में जंग हुई थी तब इंदिरा गांधी ने अपना सोना देश को दिया था और मेरी मां का मंगलसूत्र (राजीव गांधी) इस देश को कुर्बान हुआ है।”

*आखिर पीएम मोदी ने कहा क्या था?*

राजस्थान के  बांसवाड़ा में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि अगर कांग्रेस की सरकार आई तो वो लोगों की संपत्तियां लेकर ज्यादा बच्चों वालों और घुसपैठियों को बांट देगी। पीएम मोदी ने आगे कहा था,”पहले जब इनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है।  इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करते किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे. क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये?”

उन्होंने आगे कहा,”ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के गोल्ड का हिसाब करेंगे। उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे। और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। भाइयो-बहनो ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे। ये यहां तक जाएंगे।

*भारत में निजी संपत्ति पर लगता था ‘विरासत टैक्स’, राजीव गांधी सरकार ने खत्म क्यों कर दिया?*

ANI को दिए बयान में कांग्रेस ओवरसीज़ के अध्यक्ष सैम पित्रौदा ने साफ़ किया था कि भारत में ऐसा कोई क़ानून नहीं है, लेकिन ये पूरा सत्य नहीं।भारत में लगने वाला विरासत टैक्स, एस्टेट ड्यूटी ऐक्ट के तहत आता था।
संपत्ति और संपत्ति पर लगने वाला टैक्स – लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच का हॉट टॉपिक,जब से कांग्रेस ओवरसीज़ के अध्यक्ष सैम पित्रौदा ने वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन का जिक्र किया है, तब से निजी संपत्ति पर सियासत तेज़ है।पित्रौदा ने अमेरिका के विरासत टैक्स का उदाहरण मात्र दिया, कि बवाल खड़ा हो गया।भाजपा के निशाने पर आ गए, कांग्रेस ने दूरी बना ली और ख़ुद भी सफ़ाई देनी पड़ी. हालांकि, ANI को दिए बयान में पित्रौदा ने साफ़ किया था कि भारत में ऐसा कोई क़ानून नहीं है. तथ्य ये है कि अभी नहीं है, मगर कभी था।


*भारत में ‘था’ क़ानून*

संपदा शुल्क अधिनियम, 1953. अंग्रेज़ी में, Estate Duty Act. इसके मुताबिक़, किसी व्यक्ति की मृत्यु के समय संपदा शुल्क लगता था।ये एक क़िस्म का टैक्स था, जो तभी लगता था जब विरासत में मिली संपत्ति का कुल मूल्य बहिष्करण सीमा से ज़्यादा हो,भारत में इस सीमा को भी 85% पर तय किया गया था।चल और अचल संपत्ति, इसके दायरे में आती थी. मसलन, ज़मीन, घर, निवेश, नकदी, गहने और अन्य संपत्तियां।
कैसे जोड़ा जाता था कि कितना टैक्स लगेगा? संपत्ति के मूल्य और मृतक के साथ उत्तराधिकारी के संबंध के आधार पर बकाया तय किया जाता था। कुछ छूट भी दी जाती थी।एक निश्चित सीमा से नीचे की संपत्तियों पर टैक्स बोझ कम करने के लिए,1953 में ऐक्ट बना था और आने वालों सालों में इसमें कई संशोधन किए गए. जवाबदेह व्यक्ति की परिभाषा बदली गई, सीमा को कम किया गया और टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए।
साल 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इस क़ानून को ख़त्म कर दिया था. प्रशासनिक मुश्किलों, अनुपालन के मुद्दों और इस धारणा का हवाला देते हुए कि इसकी वजह से संपत्ति का फ़्री ट्रांसफ़र बाधित हो रहा है. राजीव गांधी कैबिनेट में वित्त मंत्री और आने वाले सालों में देश के प्रधानमंत्री बने वीपी सिंह ने अपने बजट भाषण में कहा था,
संपत्ति कर और संपत्ति शुल्क क़ानून, दोनों ही मृत व्यक्तियों और उनकी संपत्ति से संबंधित हैं. दो अलग-अलग क़ानूनों के होने से प्रक्रिया भारी हो जाती है. टैक्सपेयर्स और उत्तराधिकारियों को दो अलग-अलग क़ानूनों के प्रावधानों का पालन करना पड़ता है।मेरा विचार है कि संपत्ति शुल्क उन दो उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाया, जो तय किए गए थे – धन की ग़ैर-बराबरी को कम करना और राज्यों को उनकी विकास योजनाओं में वित्तीय सहायता देना। इसलिए मैं 16 मार्च, 1985 या उसके बाद होने वाली मौतों पर संपत्ति के ट्रांसफ़र पर लगाए जाने वाले संपत्ति शुल्क को समाप्त करने का प्रस्ताव देता हूं।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में भी छपा है कि भारत में इनहेरिटेंस टैक्स अपना काम नहीं कर पा रहा था,मिसाल के लिए, 1984-85 में कुल 20 करोड़ का संपदा शुल्क जुटाया गया था, मगर इसे इकट्ठा करने की लागत बहुत ज़्यादा थी क्योंकि इसकी गणित बहुत जटिल होती थी। बहुत मुक़दमेबाज़ी होती थी।
तब से देश में कोई राष्ट्रव्यापी संपत्ति शुल्क या विरासत टैक्स नहीं लगाया गया है। हालांकि, इसके ख़त्म होने के बाद भी विरासत टैक्स का विचार जीवित रहा,आधिकारिक और अनौपचारिक चर्चाओं का हिस्सा रहा,दिसंबर 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कह दिया था कि विकसित देशों में विरासत टैक्स की वजह से अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को मदद मिलती है।

*पित्रोदा के बयान से बैकफुट पर आई कांग्रेस, जयराम रमेश बोले- दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य बयान*


सैम पित्रोदा का बयान सामने आते ही पार्टी ने पित्रोदा के बयान से किनारा कर लिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘सैम पित्रोदा ने भारत की विविधता को बताने के लिए जिन उपमाओं का इस्तेमाल किया है, वे दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। ज्ञात हो कि सैम पित्रोदा द्वारा भारतीयों की तुलना चीनी-अफ्रीकी लोगों से करने वाले बयान पर कांग्रेस बैकफुट पर दिखाई दे रही है। यही वजह है कि सैम पित्रोदा का बयान सामने आते ही पार्टी ने पित्रोदा के बयान से किनारा कर लिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘सैम पित्रोदा ने भारत की विविधता को बताने के लिए जिन उपमाओं का इस्तेमाल किया है, वे दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन उपमाओं से पूरी तरह असहमत है और इनसे किनारा करती है।


*विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने भी बयान से किया किनारा*

शिवसेना यूबीटी नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने पित्रोदा के बयान पर कहा कि ‘मैं उनके बयान से सहमत नहीं हूं, लेकिन क्या वे घोषणापत्र समिति के सदस्य हैं? क्या कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं? क्या वे देश में रहते हैं? वे विदेश में रहते हैं। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके मुद्दे को देश का मुद्दा बनाया जा रहा है। एक तरफ देश के मुद्दे हैं और दूसरी तरफ सैम पित्रोदा ने अमेरिका में क्या कहा। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते और न ही ये कोई मुद्दा है और न ही ये देश पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रिया देना चाहता है।डीएमके नेता टीकेएस एलानगोवन ने पित्रोदा के बयान पर कहा कि ‘हम सब साथ है। यहां कई धर्म, संस्कृति, भाषाएं हैं, लेकिन हमने कभी भारत के लोगों में भेद नहीं किया। यह हमारा बयान नहीं है। हम भाषा और संस्कृति की समानता की बात करते हैं और ये मानते हैं कि भारत के हर राज्य में रहने वाले लोग समान हैं। हो सकता है कि वे (पित्रोदा) अपनी बात को सही तरीके से समझा नहीं पाए।’ आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ‘सैम पित्रोदा के बयान का विपक्षी गठबंधन का कोई नेता समर्थन नहीं करता है।’

*कांग्रेस नेता ने जताई नाराजगी*

कांग्रेस प्रवक्ता तहसीन पूनावाला ने भी पित्रोदा के बयान पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा ‘कांग्रेस पार्टी को यह तय करना पड़ेगा कि क्या सैम पित्रोदा को उनके लिए बोलना चाहिए या नहीं। हर बार वे जब भी बयान देते हैं तो विवाद हो जाता है। अब दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी या पूर्व के लोगों को चाइनीज कहने की क्या जरूरत थी? यह नस्लभेदी बयान है। कांग्रेस पार्टी के नेता जो जमीन पर लड़ रहे हैं, उन्हें इससे नुकसान होगा। इससे लोग नाराज होंगे, ऐसे में मीडिया पर गुस्सा निकालने से कोई फायदा नहीं है। पार्टी को उन्हें बयान देने से रोकना चाहिए, खासकर चुनाव के वक्त न बोलें। मुझे लगता है कि कांग्रेस ऐसा कर सकती है।’


*क्या बोले हैं सैम पित्रोदा*

सैम पित्रोदा ने एक हालिया इंटरव्यू में भारत की विविधता पर बात करते हुए कहा ‘हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं।’ पित्रोदा के इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई है और भाजपा ने पित्रोदा के बयान को रंगभेदी और नस्लभेदी बताया।


*विरासत टैक्स का आइडिया बहुत खराब, जानिए ऐसा हुआ तो क्या होगा*





 


लोकसभा चुनाव के बीच विरासत टैक्स की चर्चा शुरू हो गई है। दूसरे चरण की वोटिंग से पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के एक बयान से सियासी पारा चढ़ गया है। चुनाव के बीच कल विरासत कर चर्चा का विषय रहा। सैम पित्रोदा ने इसका सुझाव दिया हालांकि यह विचार कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल नहीं है। लेकिन इसने ध्यान आकर्षित किया। यह विचार कोई नया नहीं है। उदाहरण के लिए अमेरिका में संघीय उत्तराधिकार कर नहीं है। केवल छह राज्यों में, और वे राज्य नहीं जहां तकनीकी दिग्गजों के घर स्थित हैं। इसका विस्तार नहीं हुआ क्योंकि वे पूंजी के पलायन का कारण बन सकते थे।

*लाभ का असमान वितरण*

दुनिया संचार प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में एक नई औद्योगिक क्रांति (IR) के बीच में है। यह पिछले आईआर के पैटर्न का अनुसरण कर रहा है। तकनीकी परिवर्तन के लाभ असमान रूप से प्रवाहित होते हैं। आमतौर पर, श्रम परिवर्तन के अंतिम छोर पर होता है क्योंकि नई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मानव कौशल को उन्नत करने में समय लगता है।

*धन, एक मृगतृष्णा*

यह काल्पनिक धन ध्यान का स्रोत है, विशेष रूप से बाइडेन के धन कर जैसे विचारों के माध्यम से, जिसमें अवास्तविक पूंजीगत लाभ पर कर लगाने का प्रस्ताव है। यानी, काल्पनिक मूल्यवृद्धि पर कर लगाया जाएगा। एलन मस्क की अस्थिर संपत्ति दर्शाती है कि यह विचार कितना अव्यवहारिक है। दो साल पहले, उनका काल्पनिक लाभ बहुत बड़ा था। अब, शेयर मूल्य में तेज गिरावट के चलते उनकी कुल संपत्ति कम हो रही है।



*असमानता वास्तविक है*

लाभ के प्रवाह की असमान गति के वास्तविक दुनिया पर परिणाम होते हैं। भारत में, यह चार दशकों की मजबूत जीडीपी वृद्धि और रोजगार की संरचना के बीच कमजोर संबंध के माध्यम से आता है। बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन आर्थिक विकास के साथ तालमेल नहीं रख पाया है, जिससे राजनीतिक दलों द्वारा क्षति नियंत्रण को बढ़ावा मिला है। कल्याणकारी राज्य का विस्तार करना भारत के सभी राजनीतिक दलों के लिए एक दृष्टिकोण रहा है।

*लोग मायने रखते हैं*

सब्सिडी हालांकि अल्पकालिक समाधान है और विरासत कर जैसे उपायों के माध्यम से पुनर्वितरण पूरी तरह से प्रतिकूल है। एकमात्र उपाय उन नीतियों का पुनर्मूल्यांकन है जो श्रम-गहन विनिर्माण को बाधित करती हैं, और मानव पूंजी को उन्नत करने में बड़े पैमाने पर निवेश करती हैं। कौशल विकास ही एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है।

*भारत में विरासत कर*

हाल ही में सैम पित्रोदा विवाद ट्रेंड में है जहां वह विरासत कर और उसके कार्यों के बारे में बात करते हैं। हालाँकि, भारत में 1953 में एक बार विरासत कर लागू हुआ था, लेकिन बाद में राजीव गांधी द्वारा 1985 में इसे समाप्त कर दिया गया था। अभी भी इनहेरिटेंस टैक्स लगाने की कोई योजना नहीं है लेकिन मोदी सरकार ऐसा करना चाहती है।





*भारत में विरासत कर*


आइए समझते हैं कि भारत में विरासत कर क्या है।
विरासत कर वह कर है जो विरासत प्राप्त करते समय भुगतान किया जाता है, और मृतक की शुद्ध संपत्ति के आधार पर वारिस द्वारा प्राप्त की गई संपत्ति पर कर लगाया जाता है, यानी वह संपत्ति जो उसके स्वामित्व में है और ऋण कम है। सरल शब्दों में, विरासत संपत्ति और अधिकारों का वह समूह है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित हो जाता है। जब इस पर कोई कर लगाया जाता है और सरकार को भुगतान किया जाता है, तो यह एक विरासत कर है। याद रखें, यह तब होता है जब संपत्ति और/या अधिकारों का एक प्राकृतिक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरण होता है, इस मामले में, ‘मॉर्टिस कॉसा’ (मृत्यु के कारण) या नि:शुल्क।

विरासत और उपहार कर – यह कर कानून में इस प्रकार प्रकट होता है – है:

प्रगतिशील: विरासत में मिली राशि जितनी अधिक होगी, कर की दर उतनी ही अधिक होगी।
निजी: जिसे विरासत मिलती है वह भुगतान करता है।
प्रत्यक्ष: यह करदाता की संपत्ति पर पड़ता है, उपभोग पर नहीं।
देश के आधार पर, विरासत कर अधिकतम 55% पर भिन्न होता है। यह कर कानूनी उत्तराधिकारियों – बच्चों, भाई-बहनों, जीवनसाथी आदि पर लागू होता है।
भारत में, विरासत कर को संपत्ति कर या उत्तराधिकार शुल्क के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि, भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कोई विशिष्ट विरासत कर लागू नहीं है। उत्तराधिकार कर संयुक्त राज्य अमेरिका आदि विदेशी देशों में प्रसिद्ध है।






*इतिहास*


भारत में विरासत कर या संपत्ति शुल्क कानून हैं जो तब लागू होते हैं जब मृत्यु के बाद अंतर्निहित लोगों को संपत्ति का हस्तांतरण होता है, लेकिन इन कानूनों को 1985 में समाप्त कर दिया गया था। तब से राष्ट्रीय स्तर पर कोई विरासत कर कानून नहीं है। राष्ट्रव्यापी विरासत कर की अनुपस्थिति के बावजूद, भारत में विरासत पर अन्य कर लागू हो सकते हैं। उदाहरण के लिए:आयकर

विरासत में मिली संपत्ति आयकर के अधीन होती है यदि वे किराया, ब्याज आदि जैसी कोई आय उत्पन्न करती हैं। विरासत में मिली संपत्ति से उत्पन्न आय पर आयकर रिटर्न दाखिल करते समय कर लगाया जाता है।


*पूंजीगत लाभ कर*

विरासत में मिली संपत्ति, जैसे कि अचल संपत्ति या स्टॉक, उत्तराधिकारियों द्वारा बेची जाती हैं, और उन्हें बिक्री से अर्जित लाभ पर पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना पड़ता है। कर की दर अलग-अलग होती है और होल्डिंग अवधि और परिसंपत्ति की प्रकृति जैसे कारकों पर निर्भर करती है।

*उपहार कर*

हालांकि कोई विशिष्ट विरासत कर नहीं है, किसी के जीवनकाल के दौरान प्राप्त उपहार आयकर अधिनियम के तहत उपहार कर के अधीन हो सकते हैं। रिश्तेदारों से मिले किसी भी महंगे उपहार पर इनकम टैक्स एक्ट में टैक्स देना जरूरी माना जाता है।


*उत्तराधिकारी किसे माना जाता है?*

इस पहलू में, दोहरी कैसुइस्ट्री है। यदि कोई वसीयत है, तो इस कानूनी दस्तावेज़ में विरासत का वितरण निर्धारित किया जाता है। यदि कोई नहीं है, तो इसे उत्तराधिकार के क्रम को ध्यान में रखते हुए वितरित किया जाएगा: बच्चे और वंशज, लग्न, पति-पत्नी, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार। यदि कोई वसीयत नहीं है या कोई रिश्तेदार विरासत का दावा नहीं करता है, तो यह राज्य को हस्तांतरित हो जाएगी






*उत्तराधिकारियों को वितरण का प्रपत्र*

नीचे हम आपको दिखाते हैं कि संपत्ति को उत्तराधिकारियों के बीच कैसे विभाजित किया जाना चाहिए, जो इस पर निर्भर करेगा:

* यदि केवल बच्चे हैं: संपत्ति प्रत्येक बच्चे में समान रूप से विभाजित की जाएगी।
यदि केवल एक बच्चा और

* जीवनसाथी है: संपत्ति समान रूप से विभाजित है।

* यदि एक से अधिक बच्चे, 7 से कम बच्चे और एक पति या पत्नी है: पति या पत्नी प्रत्येक बच्चे की विरासत को दोगुना करने का हकदार है, इसलिए प्रत्येक बच्चा बराबर का हकदार है (सूत्र: वंशानुगत द्रव्यमान का कुल संख्या से विभाजित) बच्चों की संख्या, प्लस 2) और प्रत्येक बच्चे के लिए पति/पत्नी को दो बार।

* यदि 7 से अधिक बच्चे और पति/पत्नी हैं: पति-पत्नी संपत्ति के एक चौथाई हिस्से के लिए ज़िम्मेदार हैं, जबकि शेष हिस्सा बच्चों के बीच समान रूप से विभाजित किया गया है।


* यदि कोई जीवनसाथी और लग्न है: पति या पत्नी के पास संपत्ति का 2/3 हिस्सा है। शेष को लग्नों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाता है।

* यदि केवल एक ही पति या पत्नी है: तो कुल विरासत उसी से मेल खाती है।

* यदि केवल लग्न हों: वंशानुगत द्रव्यमान लग्नों के बीच समान रूप से विभाजित होता है।

* यदि अन्य उत्तराधिकारी हैं: तो विरासत समान रूप से विभाजित की जाएगी।




भारत में विरासत के प्रकार:-
राष्ट्रव्यापी विरासत कर की अनुपस्थिति के बावजूद, आइए भारत में विरासत के प्रकार और उससे जुड़े कर का पता लगाएं।




*वसीयतनामा उत्तराधिकार (वसीयत)*

वसीयतनामा उत्तराधिकार तब होता है जब किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति वैध वसीयत के अनुसार वारिस को हस्तांतरित कर दी जाती है। वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें मृत्यु के बाद व्यक्ति को संपत्ति हस्तांतरित करने का विवरण होता है। भारत में, वसीयत 1925 के भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम द्वारा शासित होती है और कर निहितार्थ के लिए कुछ औपचारिकताओं का पालन करना चाहिए-

यदि हस्तांतरित परिसंपत्तियों से आय उत्पन्न होती है, तो यह लाभार्थियों के हाथ में आयकर के अधीन है।

यदि उत्तराधिकारी विरासत में मिली संपत्ति बेचता है, तो वह बिक्री से अर्जित किसी भी लाभ पर अर्जित पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।


*निर्वसीयत उत्तराधिकार (वसीयत के बिना)*


* निर्वसीयत उत्तराधिकार तब होता है जब किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित कर दी जाती है।

* यह 1925 के भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम में भी निर्दिष्ट है। यदि वसीयत का अभाव या अमान्य वसीयत है, तो संपत्ति का वितरण इन कानूनों द्वारा नियंत्रित होता है।

* वसीयतनामा उत्तराधिकार के समान, विरासत में मिली संपत्ति पर उत्पन्न आय आयकर के अधीन है।


* इसी तरह, यदि कानूनी उत्तराधिकारी विरासत में मिली संपत्ति बेचते हैं तो पूंजीगत लाभ कर लागू हो सकता है।



*उपहार और एचयूएफ (हिंदू अविभाजित परिवार) विभाजन*


वसीयतनामा और बिना वसीयत के उत्तराधिकार की तरह, भारत में विरासत भी आयकर अधिनियम के तहत उपहार या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के विभाजन के माध्यम से हो सकती है। किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहार कर योग्य होता है और एचयूएफ के विभाजन में परिवार की संपत्ति का उसके सदस्यों के बीच विभाजन शामिल होता है, सभी कर योग्य होते हैं।



*संयुक्त स्वामित्व एवं नामांकन*


संयुक्त स्वामित्व और नामांकन भारत में संपत्ति नियोजन के सामान्य तरीके हैं। यदि व्यक्तियों को संयुक्त स्वामित्व और नामांकन के माध्यम से मृत्यु के बाद संपत्ति प्राप्त होती है, तो संपत्ति पर अर्जित आय पर कर लगाया जाता है।


*किन देशों में कितना वसूला जाता है विरासत टैक्स?*

टैक्स फाउंडेशन.org research फेडरल और एस्टेट के इनहेरिटेंस टैक्स अराउंड द वर्ल्ड के एक सर्वे में बताया गया है कि किस देश में कितना विरासत टैक्स वसूला जाता है।


जापान 55%
साउथ कोरिया 50%
फ़्रांस 45%
ब्रिटेन 40%
अमेरिका 40%
स्पेन 34%
आयरलैंड 33%
बेल्जियम 30%
जर्मनी 30%
चिली 25%
ग्रीस 20%
नीदरलैंड 20%
फ़िनलैंड 19%
डेनमार्क 15%
आइसलैंड 10%
तुर्की 10%
पोलैंड 7%
स्विट्जरलैंड 7%
इटली 4%

अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक
Author: अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक

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