ApnaCg @छत्तीसगढ़ का महासमुंद पशु बाजार बना गौ वंश तस्करी का हब: गौ वंश तस्कर दादर उर्फ जहूर ओगरे सहित ओडिसा के गौ तस्करों का गिरोह हुआ सक्रिय

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हर सप्ताह 500 सौ से अधिक गौ वंश पहुंच रहें है ओडिसा के कत्लखाने,उड़ीसा में 14 वर्ष से अधिक आयु के गौ वंश”फिट फॉर स्लॉटर” प्रमाण पत्र बनाकर काटे जाते हैं।



रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर

रायपुर/गरियाबंद @अपना छत्तीसगढ़ । गौ वंश भारतीय संस्कृति का प्रतीक, धर्म का मान बिन्दु, भारत के आर्थिक ढांचे का आधार स्तम्भ और हमारे जीवन का सहारा है। वेदों में स्थान-स्थान पर गौ को अघ्न्या(जिसकी कभी हत्या न हो) तथा विश्व की आयु लिखा, रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, आदित्यों की बहन कहा। अथर्ववेद में गौ हत्यारे को शीशे की गोली से मार डालने की आज्ञा दी गई। गाय को सर्वदेव पूज्य तथा सर्वदेवमयी माना। उपनिषदों, पुराणों, रामायण तथा महाभारत में स्थान-स्थान पर गौ महात्म्य भरा है। करोड़ों लोग गौ के शरीर से तैंतीस करोड़ देवताओं का वास मानते हैं। महात्मा बुद्ध ने गौ रक्षा की ओर ध्यान दिलाया, जैन धर्म ने भी गौ रक्षा को महत्व दिया। महर्षि स्वामी दयानन्द जी सरस्वती ने गौ हत्या बन्द कराने के लिए बहुत बड़ा आन्दोलन किया तथा गौ नाश से राजा और प्रजा दोनों का नाश बतलाया। गुरु नानक से लेकर गुरु गोविन्द सिंह जी तक सभी गुरुओं ने भी गौ रक्षा के प्रश्न को महत्व दिया। गुरु रामसिंह जी और उनके नामधारी सिखों ने अनेक कष्ट उठाये, कितने ही नामधारी सिख तोपों से उड़ाये गये और फाँसी पर चढ़े। संत कबीर, चैतन्य महाप्रभु ओर गोस्वामी तुलसीदास ने इस सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा।



भगवान श्री कृष्ण चन्द्र जी ने गौ रक्षा और गौ पालन का आदर्श उपस्थित किया। चक्रवर्ती राजा दिलीप गौ के लिए अपने प्राण तक देने को तैयार हुए। महर्षि वशिष्ठ ने अनेक कष्ट उठाये तथा महर्षि जमदग्नि ने अपने शरीर तक का बलिदान दिया। मुसलमानों और अंग्रेजों के राज्य में कितने ही लोगों ने गौ हत्या बन्द कराने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई। इन बातों से यह सिद्ध होता है कि भारत के लोग सदैव से गौ हत्या के विरोधी रहें, गौ रक्षा का प्रश्न उनका धार्मिक अथवा साँस्कृतिक प्रश्न है। बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर तथा कुछ अन्य मुसलमान बादशाहों ने भी यहाँ के लोगों की भावना को दृष्टि में रखते हुए गौ हत्या को बन्द किया।धार्मिक और साँस्कृतिक भावना के अतिरिक्त आर्थिक दृष्टि से भी गौ रक्षा का प्रश्न कम महत्व नहीं रखता। केन्द्रीय सरकार की पशु अनुसंधान संस्था इज्जत नगर के डॉ. एन. डी. केहर एम. एस. एस. डी. के मतानुसार भारत को गौ धन से तीन अरब नब्बे करोड़ रुपये वार्षिक आमदनी होती है। यह भारत की कुल आय का 25 प्रतिशत से भी अधिक भाग है। इतनी अधिक आय रेलवे, कपड़ा, चीनी, लोहा, इत्यादि किसी भी दस्तकारी या व्यापार से अधिक आय होती है, वह उस पर अन्य व्यापारों से अधिक ध्यान देता है। संसार के अन्य देशों में खेती घोड़ों तथा मशीनों से होती है। पर भारत की खेती का आधार है गौ वंश। बैल, हल, गाड़ी, कुएँ, रहट चलाते हैं। भूमि को उर्वरा रखने के लिए गोबर और गौ-मूत्र सस्ती और सुलभ खाद है। अन्न, साग, सब्जी, दूध, घी, दही और छाछ आदि जो हमारे जीवन का मुख्य सहारा है, उनके उत्पादन का मुख्य साधन भी गौ वंश ही है। वास्तव में भारतीयों के जीवन और भारत की समृद्धि बहुत कुछ गौ वंश पर ही निर्भर है। गौ वंश के दस महत्व और आवश्यकता को दृष्टि में रखते हुए हिन्दू राजाओं ने ही नहीं, प्रायः मुसलमान बादशाहों ने भी गौ हत्या निषेध और गौ वंश की उन्नति के कार्य किये।


कुछ मुसलमान बादशाहों ने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए गौ हत्या आरम्भ की, पर उन दिनों नाममात्र गौ हत्या होती थी। आर्थिक गौ हत्या का आरम्भ अंग्रेजों ने खाल व्यापार बढ़ाने, हिन्दू-मुस्लिम झगड़े कराने तथा देश के लोगों की शारीरिक शक्ति को कमजोर करने के लिए किया। भारतीय गायों की खालें संसार भर में अच्छी होने के कारण भारत को खाल बाजार का एक प्रमुख केन्द्र बना दिया। कितने ही अच्छे मुसलमान बादशाहों ने हिन्दुओं को प्रसन्न करने के लिए गौ हत्या बन्द की, पर अंग्रेजों ने हिन्दू-मुसलमानों को लड़ाने के लिए गौ हत्या का हथियार चलाया। जिस भारत में अतिथियों को पानी की जगह दूध पिलाया जाता था, जहाँ मुस्लिम काल में भी एक आना सेर घी मिलता था। पर्याप्त दूध, घी मिलने के कारण भारतीयों की शारीरिक शक्ति एक विशेष स्थान रखती थी, अंग्रेजों ने इस शारीरिक शक्ति को नष्ट करने के लिए गौ धन का ह्रास और विनाश किया। अंग्रेजों ने इससे भी अधिक गौ को जो नुकसान पहुँचाया वह है भावना को दूषित करना। अंग्रेजी राज्य से पहले सब हिन्दू ही नहीं लाखों मुसलमान भी गौ हत्या के नाम से घृणा करते थे। गौ हत्या के लिए लोग अपने प्राणों तक की बाजी लगाते थे। गौ हत्या के पक्ष में किसी को मुख खोलने तक की हिम्मत न थी, पर जैसा कि मैकाले ने कहा था अंग्रेजी शिक्षा के प्रभाव से ऐसे लोगों की एक बहुत बड़ी संस्था हो जायगी, जिसका रंग तो भारतीय होगा पर हृदय अंग्रेज। मैकाले का यह स्वप्न पूरा हुआ। देश में कितने ही हिन्दू जिनके पूर्वज गौ रक्षा को परम धर्म मानते थे, आज गौ हत्या एवं गौ वंश के ह्रास और निराश करने कराने के वकील बन गये और यही लोग गौ हत्या के प्रमुख कारण है।बताते चले की इन दिनों
धान का कटोरा’ के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ अब देश में गौ-वंश तस्करी का हब बनने लगा है। यहां से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना के गिरोह गौ-वंश तस्करी कर रहे हैं। हर दिन एक गाड़ी गौ-वंश से भरी रवाना होती है। आंकड़ों की बात करें तो 5 साल में पशु तस्करी के 646 से अधिक  मामले दर्ज किए गए हैं।अकेले फरवरी माह में विधानसभा सत्र के दौरान 100 गौ-वंश से भरी बड़ी खेप रायपुर पुलिस ने पकड़ी थी। इसके बाद इस मामले में आधा दर्जन कार्रवाई की गई। आरोप है कि संरक्षण के दम पर गौ-वंश से भरी गाड़ी छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है।महासमुंद में प्रति बुधवार को लगने वाले पशु बाजार से प्रत्येक सप्ताह गरियाबंद और ओडिशा  के जंगल से मवेशियों को धड़ल्ले से ओडिसा के कत्लखाने पहुंचा जा रहा हैं ।मवेशी तस्कर कानून को चुनौती देते हुए गौ वंश को मारते-पीटते ले जाते इन देखा जा सकता हैं। महासमुंद और गरियाबंद जिले के सीमावर्ती क्षेत्र से धड़ल्ले से गौ वंश तस्करी हो रही है । सप्ताह में हजारों से अधिक की संख्या में गौ वंश को जंगल रास्ते होते हुए ओडिसा के कत्लखाने ले जाया जा रहा है।  गरियाबंद क्षेत्र के जंगलों के रास्ते मवेशी तस्करी का कारोबार बड़े पैमाने पर होने लगा है। मवेशियों को गंभीर चोट पहुंचाया जाता है और बिना आहार और पानी लंबी दूरी तक सफर कराया जाता है। क्षेत्र में तस्तर इतने सक्रिय है कि खुले आम गांव की पगडंडियों से गौ वंश को ले जाते हैं।महासमुंद पशु बाजार से बिना पर्ची या रशीद के बाजार ठेकेदार द्वारा गौ वंश अपना निर्धारित कमीशन तय कर गौ वंश को इन तस्करो के हवाले कर दिया जाता हैं। जहा से
गरियाबंद जिले की सीमा वर्तीय  छुरा में मवेशियों का प्रवेश होते ही कानून का उलंघन देखने को मिलता है और प्रशासनिक सक्रियता भी इस अवैध तस्करी को रोकने दिखाई नहीं दे रही है। हालाकि महासमुंद और छुरा की पुलिस ने कुछ कार्यवाही तस्करो पर की हैं तो वही महासमुंद में विश्व हिंदू परिषद की सक्रियता से  मार्च माह में  छुरा क्षेत्र के ग्राम कोसमबुढ़ा का गौ वंश तस्कर दादर उर्फ जहूर ओगरे निवासी पर छत्तीसगढ़ कृषक पशु  परीक्षण अधिनियम की धारा 10,4,6, एवम पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11(घ) के तहत कार्यवाही की गई थी । जिसके पास किसी भी तरह के खरीदी विक्री के दस्तावेज नहीं थे महासमुंद पुलिस द्वारा दादर उर्फ जहूर ओगरे के चुंगल से 106 गौ वंश  को आजाद करवाया गया था। किंतु बाजार ठेकेदार द्वारा गौ वंश पकड़े जाने के बाद रसीद दी गई।जबकि बाजार ठेकेदार द्वारा विक्री के समय ही रसीद देने का नियम है किंतु ठेकेदार किसी नियम का पालन नहीं करता हैं।
सूत्रों की माने तो कानून के लचीलापन के चलते सभी गौ वंश को दादर उर्फ जहूर ओगरे के हवाले कर दिया गया। इस दिशा  में कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण गौ प्रेमी भी इन दिनों निराश और हताश  नजर आ रहे हैं।दादर उर्फ जहूर ओगरे के पास बकायदा मवेशी खरीदी का लाइसेंस भी हैं।नियम अनुसार लाइसेंस धारी एक बार में 25 गौ वंश ही खरीद सकता हैं किंतु ठेकेदार की सांठ गांठ से दादर उर्फ जहूर ओगरे द्वारा प्रत्येक बाजार से 100 से अधिक गौ वंश की खरीदी की जाती है जिसमे अधिकतर गौ वंश बड़े और कमजोर होते हैं जो उड़ीसा के कानून अनुसार जिन्हे आसानी से काटा जा सकता हैं।

*ग्रामीणों की आड़*

मवेशी तस्करी के मामले में दादर उर्फ जहूर ओगरे सहित दर्जनों गौ वंश के तस्कर सक्रिय हैं। बड़े व्यापारियों के गुर्गे ग्रामीण स्तर पर युवाओं को तैयार करते हैं और निश्चित स्थान तक पहुंचाने के लिए ठेका दिया जाता है। जब ग्रामीण युवक मवेशियों को ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर जाते हैं तो उनके उपर सीधे आरोप नहीं लगता है।बता दे कि बुधवार को लगने वाले महासमुंद पशु बाजार से जब खरीददारी होती है तो छुरा क्षेत्र के दादर उर्फ जहूर ओगरे सहित ओडिशा के बड़े व्यापारी बाजार में होते हैं और हाक कर ले जाने वाले मजदूरों सहित अपने आदमियों को मवेशियां का जिम्मा देकर वे सीमा पार मवेशियों के संपर्क में आते हैं।इस दौरान आबादी वाले क्षेत्रों में जंगल के अंदर में भी बड़ी संख्या में मवेशियों को ले जाया जाता है, जहां से लोगों को यह परिवहन नजर नहीं आता है। वहीं कई इलाको में देखने को मिल रहा है कि खुलेआम मवेशियों को गांव से लगे रास्तों से ले जाया जा रहा है।गौ वंश को निर्धारित स्थान तक ले जाने के लिए एक मजदूर को दो से पांच हजार तक दिया जाता है। छत्तीसगढ़ की सीमा पार कराने में तस्करों के मजदूरों को लगभग एक दिन का समय लगता है। इससे पहले सबसे अधिक उपयोग तस्करी के लिए छुरा और महासमुंद के बागबहारा विकासखंड का होता था।जिस मार्ग से उड़ीसा के नुआपाड़ा जिला के मंगलवार को लगने वाले बटोरा बाजार में बेच दिया जाता हैं अच्छे दाम न मिलने पर तितलागड़ में बेचा जाता है। जहां  उड़ीसा गोवध निवारण अधिनियम, 1960 के तहत गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध हैं। इसके अतिरिक्त यदि बैल और सांड और गौ वंश की उम्र 14 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन में अयोग्य हो तो ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र के साथ उसकी हत्या की जा सकती है। कानून की अवहेलना करने पर अधिकतम 2 वर्ष का कारावास और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।इस कानून का लाभ उठाकर गौ वंश तस्कर डॉक्टर को एक अच्छी रकम देकर योग्य गौ वंश को भी आयोग्य सीफिट फॉर स्लॉटर’करवा दिया जाता हैं इस तरह फिर गौ वंश को कत्ल खाने में उसे मौत के घाट उतारा जाता हैं।

*दादर उर्फ जहूर ओगरे ग्रामीण क्षेत्रों से चोरी कर गौ वंश को बेचता हैं उड़ीसा में*

*बताते चले की आठ महा पूर्व दादर उर्फ जहूर ओगरे के द्वारा विकास खण्ड फिंगेस्वर अन्तर्गत ग्राम जोगीडीपा से कुछ कृषकों के 25 नग कृषि योग्य भैंसा को चोरी कर उड़ीसा के मवेशी बाजार में ले जाकर बेच दिया गया था उसके बाद ग्राम जोगीडीपा के कृषकों को यहा बात की जानकारी लगी की दादर उर्फ जहूर ओगरे और उसके एक साथी (द्वारतरा निवासी ) ने मिलकर भैंसा की चोरी की हैं तब उक्त कृषकों ने  दादर उर्फ जहूर और उसके साथी को छुरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत कोसमी के आश्रित ग्राम बम्हनी के जंगल में पकड़कर वे दम पिटाई करने लगे तब बम्हनी ग्राम के प्रमुखों के हस्ताक्षेप के बाद दादर उर्फ जहूर और उसके सहयोगी को बचाया गया किंतु ग्राम प्रमुखों ने इस बात का भी फैसला किया की दादर उर्फ जहूर ओगरे और उसके सहयोगी को एक लाख रुपए कृषकों को भुगतान करना पड़ेगा।इस तरह दादर उर्फ जहूर ओगरे द्वारा छुरा क्षेत्र के गौ वंश को चोरी कर उड़ीसा में बेचने का गोरख धंधा काफी हद तक फल फूल रहा हैं।*


*कृषि के नाम बूढ़े मवेशियों का उपयोग*

महासमुंद के साप्ताहिक मवेशी बाजार को तस्करो ने अपना प्रमुख बाजार बनाया। यहां कृषि कार्य के नामपर मवेशी बाजार का संचालन किया जाता है। लेकिन कुछ मवेशियों को छोड़कर आधे से अधिक बूढ़े और देशी नस्लों के मवेशियों को कत्लखाने ले जाया जा रहा है।यहां खरीदी के नाम पर एक रशीद भी तस्करों को दी जाती है, जिसे दिखाकर तस्कर इसे वैद्यानिक बताने की कोशिश करते हैं। जब मवेशियों को पैदल परिवहन लंबी दूरी तक कराया जाता है तो वह परिवहन ही अवैधानिक है और इस पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है।किंतु ऐसा नहीं होता हैं।


*छत्तीसगढ़ विधानसभा में गूंजा था गौ तस्करी का मामला, कांग्रेस बीजेपी ने एक दूसरे पर लगाए थे आरोप*





छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायक राम कुमार यादव ने गाय तस्करी का मामला उठाया था।इसके बाद विपक्ष ने हंगामा करते हुए नारेबाजी की गई थी इससे पहले विधायक राम कुमार ने कंटेनर के अंदर छिपाकर गाय तस्करी पर बात की थी रामकुमार यादव ने कहा था कि इस दौरान 13 गायों की मौत हुई।छत्तीसगढ़ बनने के बाद ये पहली घटना है जिसमें राजधानी में गायों की मौत हुई हो।

*पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने भी उठाए सवाल*

वहीं पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने भी सरकार को घेरा था उमेश पटेल ने कहा था कि जब हमने गौठान की व्यवस्था बनाई थी तो सवाल उठाया गया था लेकिन इनके पास अब कोई व्यवस्था नहीं है। कंटेनर में 100 गायों को लेकर तस्करी किया जा रहा था।13 गायों की मौत हुई है।कांग्रेस के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा था कि गंभीर विषय पर आप लोगों ने ध्यान आकर्षित कराया है। सरकार के ध्यान में बात आ गई है, अब ध्यानाकर्षण पर इस मामले को लेकर चर्चा होगी।

*नेता प्रतिपक्ष ने बीजेपी को घेरा*

इस मामले में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने गौ तस्करी पर सरकार को घेरा था।चरणदास महंत ने कहा था कि गौ तस्करी हो रही है।कत्ल खाने ले जाया जा रहा है.यह दुर्भाग्य जनक है।जब हमारे कार्यकाल में एक भी गाय की मौत होती थी, तो पूरा विपक्ष विधानसभा को सिर पर उठा लेता था।लेकिन बीजेपी की सरकार चुप है।आमानाका थाना क्षेत्र में एक कंटेनर में 100 से अधिक गायों को पकड़ा गया। उसमें से 13 गायों की मृत्यु हो चुकी था अभी तक ना गृहमंत्री उस पर कोई बयान दे रहे ,ना उनके कोई अन्य मंत्री बात कर रहे, यह दुर्भाग्य जनक बात है।

*सरकार करेगी कार्रवाई*

वहीं कांग्रेस के आरोपों पर मंत्री रामविचार नेताम ने पलटवार किया था रामविचार नेताम ने कांग्रेस पर आरोप लगाए थे  नेताम ने कहा था पहले की सरकार में गौ तस्करी होती थी,हमारी सरकार इस मामले को कानून के दायरे में लाकर सख्त कार्रवाई करेगी।उस समय की सरकार में हमारे कार्यकर्ता के ऊपर फर्जी मुकदमा लगाया गया। गौ तस्करों के खिलाफ कार्रवाई ना करके गौ सेवकों पर कार्रवाई हुई है क्योंकि कुछ भी कार्यवाही करते तो उनके आका यहां बैठे थे।आज जब सरकार बदली है, मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जमीन पर कार्यवाही करना शुरू हुआ तो छटपटा रहे हैं।आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं।सबको मालूम होना चाहिए कि अब विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार है। कितने बड़ा हो ,कितना सोर्स वाले आपराधिक पृष्ठभूमि का होगा, गलत करने वाले, धर्मांतरण का सहयोग करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गौ तस्करी का मामला सामने आया था विकास उपाध्याय के मुताबिक गौ तस्करी की सूचना मिली थी जिसके बाद कुम्हारी टोलनाका पहुंचे थे और कंटेनर को रूकवाए।कंटेनर को खोलकर देखा तो उसमें 80 गाय थी। इन सभी गायों को हीरापुर के जरवाय गौठान में भेजा गया था जहां उनके आहार और उपचार की उचित व्यवस्था की गई इस बीच 13 गायों की मौत हो चुकी थी।


*क्या है गोवध नियंत्रण कानून, जानें किन राज्यों में गौहत्या पर रोक नहीं*


देश के अधिकतर राज्यों में गोवंश की हत्या पर प्रतिबंध है। लेकिन कुछ राज्यों में शर्तों के साथ गोवंश की हत्या की अनुमति दी जाती है।हालांकि भारतीय संस्कृति और महात्मा गांधी की इच्छा के अनुरूप विभिन्न राज्यों में गौ वंश के संरक्षण हेतु कानून बनाए गए हैं। लेकिन कुछ राज्यों में किसी न किसी बहाने गौवंश हत्या की अनुमति दी गयी है।




*आंध्र प्रदेश*

आंध्र प्रदेश गोवध निषेध और पशु संरक्षण अधिनियम, 1977 के तहत राज्य में गोवंश यानी गाय, बछिया और बछड़े की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। इनकी हत्या के दोषियों को अधिकतम 6 महीने की जेल और 1000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं। राज्य में बैल या सांड की हत्या के लिए ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र संबंधित अधिकारी से प्राप्त करना होगा। बैल या सांड की हत्या की अनुमति तभी दी जाएगी, जब वह प्रजनन और कृषि कार्य योग्य नहीं होगा।


*असम*




बीच सड़क पर महिला का हाईवोल्टेज डांस, पुलिसकर्मियों के साथ की बदतमीजी, गाली-गलौज भी की
असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 1950 के तहत यदि मवेशी (जिनमें बैल, गाय, बछड़ा, बछिया, भैंस और उसके बछड़े शामिल) 14 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या फिर किसी असाध्य रोग से ग्रस्त होने के कारण प्रजनन या कृषि योग्य नहीं रह गए हैं, तो ऐसे मवेशियों की हत्या की जा सकती है। इसके लिए भी संबंधित अधिकारी से ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र लेना होगा। अगर इन नियमों का उल्लंघन किया गया, तो दोषी को 6 महीने की जेल और 1000 रुपये तक के जुर्माने या फिर दोनों सजा हो सकती है।
हालांकि, 2021 में असम सरकार ने राज्य विधानसभा से असम मवेशी संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2021 पारित कराया है, जिसमें गोवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान किया गया है। इस कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को 3 से 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 से 8 वर्ष का कारावास या फिर दोनों सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त हिंदू, सिख, जैन और बीफ नहीं खाने वाले अन्य समुदाय के लोगों के धार्मिक स्थलों के पांच किलोमीटर के दायरे में बीफ की खरीद-बिक्री को भी प्रतिबंधित किया गया है।


*बिहार*


बिहार संरक्षण और पशु सुधार अधिनियम, 1955 के तहत गाय और बछड़े की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैल और सांड यदि 15 वर्ष से अधिक उम्र के हों या फिर किसी असाध्य रोग से ग्रस्त होने के कारण प्रजनन और कृषि योग्य न हों, तो उनकी हत्या की जा सकती है। अगर इन नियमों का उल्लंघन किया गया तो अधिकतम छह महीने की सजा या 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त गायों, बछड़ों, बैलों और सांड़ों को बिहार से बाहर निर्यात करने पर भी प्रतिबंध है।


*दिल्ली*

दिल्ली कृषि पशु संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत गोवंश (सभी उम्र की गायों, बछड़े, बैल और सांड) की हत्या पर पूर्णतः प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त इनके परिवहन और निर्यात पर भी प्रतिबंध है। अगर संबंधित अधिकारी को यह आश्वासन दिया जाता है कि जिस राज्य में पशु को भेजा जा रहा है, वहां मवेशियों की हत्या नहीं किया जाएगी, तो इस स्थिति में निर्यात की अनुमति मिल सकती है। अगर इस कानून को तोड़ा जाता है, तो संबंधित व्यक्ति को अधिकतम 10 हजार रुपये का जुर्माना और 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।


*गोवा*

गोवा में दमन और दीव गोहत्या निवारण अधिनियम, 1978 के तहत गाय, बछड़े और बछिया की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गाय को दर्द होने, छूत की बीमारी या फिर चिकित्सा अनुसंधान के लिए उसकी हत्या की जा सकती है। इसके अतिरिक्त राज्य में बीफ या बीफ के उत्पादों पर भी पूर्ण प्रतिबंध हैं। इस कानून की अवहेलना करने वालों को अधिकतम दो वर्ष की कैद और 1000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।

*गुजरात*

गुजरात में बंबई पशु संरक्षण अधिनियम, 1954 के तहत गाय, बछड़ा, बैल या सांड के वध पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके अतिरिक्त कुछ शर्तों पर भैंस की हत्या करने की अनुमति है। इस कानून की अवहेलना करने पर अधिकतम छह साल का कारावास और 1 हजार रुपये जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।

*हरियाणा*

पंजाब गोहत्या निषेध अधिनियम, 1955 के तहत अगर गोवंश की हत्या की जाती है, तो दोषी व्यक्ति के लिए 5 वर्ष का कठोर कारावास या 5 हजार रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।

*जम्मू और कश्मीर*

रणबीर दंड संहिता, 1932 के तहत गोवंश की स्वेच्छा से हत्या करने पर 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है और कोर्ट द्वारा पशु की कीमत के पांच गुना ज्यादा राशि जुर्माने के रूप में निर्धारित की जाती है।

*कर्नाटक*


कर्नाटक गोवध निवारण और पशु संरक्षण अधिनियम, 1964 के तहत गाय, गाय का बछड़ा या भैंस के बछड़े की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। 12 वर्ष से अधिक उम्र के बैल, सांड और भैंस, जो चोटिल हों या फिर प्रजनन और जो गौ वंश दूध देने में अक्षम हों, को ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद हत्या की अनुमति है। इसके साथ ही राज्य के बाहर हत्या के लिए परिवहन की अनुमति नहीं है। ऐसा करने पर अधिकतम छह महीने तक की कैद और 1000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।

*केरल*

केरल पंचायत (वधशाला और मांस स्टाल) नियम, 1964 के तहत बैल, सांड, गाय का बछड़ा, भैंस का बछड़ा, भैंस या भैंसे की हत्या तभी की जा सकती हैं, जब उसकी उम्र 10 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन और अन्य कार्यों में अक्षम हो। इसके लिए भी ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसके अतिरिक्त 1976 में केरल सरकार ने सभी उपयोगी पशुओं की हत्या पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया है।

*मध्य प्रदेश*

मध्य प्रदेश कृषि पशु संरक्षण अधिनियम, 1959 के तहत गाय, गाय का बछड़ा, बैल और भैंस के बछड़े की हत्या वर्जित है। इसके अतिरिक्त बैल और सांड़ों की हत्या तभी की जा सकती है, जब मवेशी 15 वर्ष से अधिक उम्र का हो या कृषि कार्य तथा प्रजनन में अयोग्य हो। अगर इस कानून की अवहेलना की जाती है, तो संबंधित व्यक्ति को अधिकतम 3 वर्ष तक की कैद और 5 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है।

*महाराष्ट्र*

महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैल और भैंसों की हत्या की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब मवेशी प्रजनन और अन्य कार्यों में अक्षम हो। इसके लिए भी ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। नियम की अवहेलना करने पर अधिकतम छह महीने की कैद और 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

*मणिपुर*

1936 में मणिपुर के महाराजा ने एक प्रस्ताव पास करके यह आदेश दिया था कि हिंदू धर्म के अनुसार गाय की हत्या पाप है और मणिपुर की रीति के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा था कि अगर कोई गाय की हत्या करते पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

*उड़ीसा*

उड़ीसा गोवध निवारण अधिनियम, 1960 के तहत गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध हैं। इसके अतिरिक्त यदि बैल और सांड की उम्र 14 वर्ष से अधिक हो और प्रजनन में अयोग्य हो तो ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र के साथ गौ वंश की हत्या की जा सकती है। कानून की अवहेलना करने पर अधिकतम 2 वर्ष का कारावास और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं।

*पुदुचेरी*

पुदुचेरी गोवध निवारण अधिनियम, 1968 के तहत राज्य में गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। बैल या सांड की हत्या तभी की जा सकती हैं, जब उसकी उम्र 15 वर्ष से अधिक हो या प्रजनन में अयोग्य हो। इसके लिए भी ‘फिट फॉर स्लॉटर’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। राज्य में गोमांस की बिक्री और परिवहन पर भी रोक है। कानून की अवहेलना करने पर संबंधित व्यक्ति को दो वर्ष तक की कैद और 1000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

*पंजाब*

पंजाब गोवध निषेध अधिनियम, 1955 के तहत राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गोहत्या के लिए पशुओं के निर्यात की भी अनुमति नहीं है और बीफ की बिक्री भी नहीं की जा सकती है। इस कानून की अवहेलना किए जाने पर दो वर्ष तक की कैद और 1000 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

*राजस्थान*

गोवंश पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत राज्य में गोवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है। गोवंश के मांस की बिक्री और परिवहन वर्जित है। इस कानून की अवहेलना करने पर दो वर्ष

अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक
Author: अपना छत्तीसगढ़ / अक्षय लहरे / संपादक

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